परेश रावल ने कहा, 'संजू' बाप बेटे की कहानी, फिल्म देख कर तय करें कि संजय दत्त हीरो या विलेन
यह तो लोगों को फिल्म देखने के बाद तय करना है कि संजय दत्त ने हीरो की तरह जीवन जिया या विलेन (खलनायक) की तरह
नई दिल्ली:
निर्देशक राजकुमार हिरानी की फिल्म 'संजू' में संजय दत्त के पिता सुनील दत्त का किरदार निभा रहे दिग्गज अभिनेता परेश रावल का कहना है कि यह किरदार उनकी नियति में था।
सुनील साहब ने जिस तरह संघर्ष कर जीवन जिया है, वह किसी आम इंसान के बस की बात नहीं है। उन्होंने तमाम संघर्षो के बीच अपने मूल्यों और सिद्धांतों को कायम रखा।
परेश ने मुंबई से फोन पर आईएएनएस को बताया, 'सुनील दत्त साहब आयरनमैन थे। चाहे नरगिस की बीमारी हो, बेटे के मादक पदार्थो की चपेट में आना, जेल जाना, दोनों बेटियों को संभालना हो या उनके राजनीतिक करियर की उठापटक, इतने संघर्षो का सामना करते हुए अपने मूल्यों और सिद्धांतों को कोई साधारण शख्स कायम नहीं रख सकता।'
परेश कहते हैं, 'सुनील साहब वही शख्स हैं, जिन्होंने मुंबई दंगों के दौरान अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था। ये वही इंसान हैं, जिन्होंने यहां से अमृतसर तक पदयात्रा की थी, उस वक्त माहौल बहुत खराब था और रास्ते में उन्हें कोई भी अपनी गोली का निशाना बना सकता था। जिंदगी हर कोई जीता है, लेकिन अपने सम्मान और चरित्र को बरकरार रखके जीवन जीना आम बात नहीं है।'
'संजू' असल में बाप और बेटे की कहानी है। दिग्गज अभिनेता कहते हैं कि इस फिल्म में किसी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। संजय दत्त ने जिस तरह अपनी कहानी बताई, राजुकमार हिरानी ने ठीक वैसे ही इसे पर्दे पर उतारा है। इसमें कुछ जोड़ा या घटाया नहीं गया, बढ़ा-चढ़ाकर करने की कोशिश नहीं की गई। फिल्म में शत-प्रतिशत सच्चाई दिखाई गई है।
परेश कहते हैं, 'यह किरदार निभाना मेरे नसीब में लिखा था। 25 मई 2005 को सुनील दत्त साहब ने मुझे पत्र लिखकर जन्मदिन की बधाई दी थी लेकिन जब मुझे पत्र मिला तो मैं ताज्जुब में पड़ गया क्योंकि मेरा जन्मदिन 30 मई को होता है और जिस दिन (25 मई) यह पत्र मेरे पास पहुंचा, उसी दिन दत्त साहब का निधन हो गया। यह पत्र 12 साल से मेरे घर की दराज में रखा है और जब मुझे राजू ने इस फिल्म की कहानी सुनाई तो मैं यहीं सोच रहा था कि कुछ तो दैवीय शक्ति है कि यह किरदार करने का मौका मुझे मिला।'
'संजू' का ट्रेलर रिलीज होने के बाद से लोग असमंजस में हैं कि उन्हें हीरो के तौर पर देखा जाए या किसी और एंगल से?
इसके जवाब में परेश कहते हैं, 'यह तो लोगों को फिल्म देखने के बाद तय करना है कि संजय दत्त ने हीरो की तरह जीवन जिया या विलेन (खलनायक) की तरह। अदालत ने अपना फैसला सुना दिया था, अब कोई भी अदालत से तो बड़ा नहीं है। अदालत को जो तय करना था, उसने कर दिया। हम अदालत से ऊपर नहीं हैं और न ही हमें अदालत से ऊपर उठने की कोशिश भी करनी चाहिए। संजय दत्त ने जिस ईमानदारी ने कहानी बताई है, उसी सच्चाई से राजकुमार हिरानी ने सच्चाई से दिखाई है।'
परेश रावल के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन पर बन रही बायोपिक में मोदी का किरदार निभाने की भी अटकलें हैं, लेकिन परेश इसके जवाब में कहते हैं, 'मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहता, सही समय पर सही चीजों का पता चल जाएगा।'
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