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बिहार: नियोजित शिक्षकों के समान काम समान वेतन की मांग पर 31 जुलाई के बाद आखिरी फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

बिहार में नियोजित शिक्षकों की समान काम समान वेतन की मांग पर चल रही सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई तक के लिए टाल दिया है।

Updated on: 12 Jul 2018, 12:16 PM

नई दिल्ली:

बिहार में नियोजित शिक्षकों की समान काम समान वेतन की मांग पर चल रही सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई तक के लिए टाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अब 31 जुलाई के बाद अंतिम फैसला सुनाएगा।

इससे पहले सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार को झटका देते हुए पटना हाई कोर्ट के समान काम के लिए समान वेतन देने के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

गौरतलब है कि बीते दिनों नियोजित शिक्षकों की अर्जी पर पटना हाई कोर्ट ने नियमित सरकारी शिक्षकों की तरह ही नियोजित शिक्षकों को भी समान काम के लिए समान वेतने देने का आदेश दिया था।

बिहार सरकार ने राज्य के कमजोर वित्तीय हालात को आधार बनाकर हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और इसपर रोक लगाने की मांग की थी।

बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और यू यू ललित की बेंच के सामने दलील दी थी कि नियोजित टीचर पंचायती राज्य निकायों के कर्मचारी हैं न कि बिहार सरकार के हैं।

इसके साथ राज्य सरकार ने यह भी दलील थी कि समान वेतन से सरकार पर 52 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के किसी भी दलील को मानने से इनकार कर दिया।

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सुप्रीम कोर्ट में नियोजित शिक्षकों की तरफ से वकील ने तर्क दिया कि नियोजित शिक्षक स्कूल में नियमित शिक्षकों के बराबर काम करते हैं। ऐसे में समान काम के लिए समान वेतन नहीं देना असंवैधानिक है।

शिक्षकों की तरफ से वकील ने यह भी कहा कि समान वेतन पर सिर्फ 9800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा और शिक्षकों को मिलने वाला वेतन का 60 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार देती है।

सुप्रीम कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों की तरफ से दी गई दलील को मानते हुए हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

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