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भागलपुर सृजन घोटाला: सीएम नीतीश कुमार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की

बिहार के भागलपुर जिले में सरकारी राशि के फर्जीवाड़े की जांच के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है।

Updated on: 18 Aug 2017, 07:48 AM

highlights

  • बिहार के भागलपुर जिले के सृजन घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश
  • पुलिस सूत्रों का दावा है कि यह गोरखधंधा वर्ष 2009 से ही चल रहा था, 650 करोड़ रुपये का है घोटाल
  • विपक्षी दल आरजेडी का दावा, 2000 करोड़ रुपये का है घोटाला

नई दिल्ली:

बिहार के भागलपुर जिले में सरकारी राशि के फर्जीवाड़े की जांच के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है।

स्वयंसेवी संस्था (एनजीओ) सृजन महिला विकास सहयोग समिति के बैंक खाते में सरकारी योजनाओं के पैसे रखे जाते थे, जिसका उपयोग संस्था द्वारा अपने व्यक्तिगत कार्यो में किया जाता था।

आपको बता दें की राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू यादव ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को घोटाले के लिए जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी का कहना है कि इसकी सीबीआई जांच हो।

पुलिस सूत्रों का दावा है कि यह गोरखधंधा वर्ष 2009 से ही चल रहा था। तब सुशील कुमार मोदी बिहार में वित्त मंत्री थे।

भागलपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार ने बताया कि इस फर्जीवाड़े का खुलासा तीन अगस्त को 10 करोड़ रुपये के एक सरकारी चेक के बाउंस होने के बाद आया।

पुलिस का मानना है कि भागलपुर का सृजल घोटाला करीब 650 करोड़ का है। वहीं विपक्षी दल आरजेडी का दावा है कि यह 2000 करोड़ रुपये का घोटाला है।

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बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सृजन घोटाले में और अधिक खुलासे का दावा किया है। भागलपुर दौरे पर पहुंचे यादव ने कहा, 'सृजन से जुड़े लोगों का विसर्जन करने हम यहां आए हैं। जिस तरह से हमारी सभा के लिए मिली अनुमति रद्द कर दी गई, यह विपक्ष के नेता का अपमान है।'

इस मामले में दो दर्जन लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया है, कईयों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है।

एक अधिकारी के अनुसार, भू-अर्जन विभाग से 270 करोड रुपये की राषि जबकि जिला नजारत से 14़ 80 करोड़ और मुख्यमंत्री नगर विकास योजना से 10़26 करोड़ रुपये बैंक ऑफ बड़ौदा तथा इंडियन बैंक से निकाले गए और सृजन महिला संस्थान के खातों में जमा कराया गया। पुलिस का कहना है कि इस मामले में बैंक के अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई है।

बताया जाता है कि सृजन महिला विकास सहयोग समिति का गठन वर्ष 1996 में को-ऑपरेटिव सोसाइटी एक्ट के तहत हुआ था। बाद में इस संस्थान की मान्यता जिला स्तर पर मिल गई और इस संस्था को सरकारी मदद मिलने लगी।

सूत्रों के अनुसार, 2003 से सृजन महिला के बचत एवं शाखा में सरकारी राशियां भी जमा होने लगी। गौरतलब है कि सहयोग समिति को किसी प्रकार के बैंकिंग सेवाओं के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की अनुमति नहीं है।

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